बिहार विधानसभा तथा विधान परिषद के सभी सदस्यों को करोड़ों रुपए के मूल्य के समान, जिसमें माइक्रोवेव ओवन, मोबाइल फोन, सुटकेश इत्यादि शामिल है, खुद को उपहार स्वरूप दिया है।
एक तरफ सरकार शिक्षकों को तनख्वाह नहीं दे रही है और दूसरी तरफ शिक्षण विभाग ही यह करोड़ों रुपए का समान विधायकों को, जो कि जनता की गाढ़ी कमाई का है, खुद को ही उपहार स्वरूप दे रही है।
बहाना परंपरा का है कि हम वर्षों से ऐसा ही करते आये हैं।
जनता के पैसे का खुला दुरपयोग।
क्या इस देश की जनता ऐसा होने देगी?
जागरूकता यदि हमारे में हो तो कोई भी व्यक्ति हमारा यों शोषण नहीं कर सकता है।
जागो देशवासियों जागो।
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